फुल बॉडी चेकउप टाइम से पहले होने वाली बीमारी से तो बचाता ही है , बल्कि उन गंभीर बिमारिओ पर खर्च होने वाले पैसे भी सेव करता है | फुल बॉडी चेकअप (पूरे शरीर की जांच) कराने की कोई उम्र नहीं होती, चाहे रिस्क फैक्टर हो या नहीं | हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, यदि आपकी सेहत बिल्कुल ठीक है और आपको लाइफस्टाइल संबंधी कोई बीमारी नहीं है, तो भी अच्छे स्वास्थ्य के लिए आपको 25 साल की उम्र के बाद से अपना फुल बॉडी चेकअप नियमित रूप से ज़रूर कराना चाहिए |
आइये जाने: फुल बॉडी चेकउप में क्या क्या होता है?
एक समय था, जब ये माना जाता था कि 35-40 साल की उम्र के बाद अपना हेल्थ चेकअप कराना चाहिए, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर अनेक बीमारियों से ग्रस्त रहने लगता है, लेकिन आज समय बदल गया है आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, बदलती लाइफ स्टाइल, प्रदूषण, काम के बढ़ते बोझ, खान-पान की गलत आदतों को देखते हुए अब 25 की उम्र से ही फुल बॉडी चेकअप कराना शुरू कर देना चाहिए |
शराब, स्मोकिंग, शारीरिक श्रम के अभाव, तनाव की जिंदगी, आचार-विचार, व्यवहार व आहार में अनियमितता के कारण हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर आदि रोगों ने उसे आ घेरा है। दुनिया में हर साल करीब 9 करोड़ 20 लाख व्यक्ति दिल की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।
देशभर में लाखों लोग दिल की बिमारी के शिकार हो जाते हैं। हमारे देश में तीन करोड़ दिल की बीमारियों से पीड़ित हैं। देश में 40 प्रतिशत स्त्रियाँ दिल की रोगी हैं। सिर्फ दिल्ली में करीब ढाई लाख व्यक्ति दिल की बीमारी की गिरफ्त में हैं। प्रति एक हजार की आबादी में 30 लोग दिल के मरीज हैं। 40 लाख से ज्यादा लोग तो हर साल धूम्रपान के कारण मौत का शिकार हो जाते हैं | मधुमेह के लगभग दो करोड़ 30 लाख रोगी हमारे देश में हैं। हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, कैंसर आदि के प्रमुख कारणों व लक्षणों का समय पर ही निदान हो जाए तो इन रोगों से बचाव किया जा सकता है।
शारीरिक स्वास्थ्य परीक्षण (full body checkup or complete health checkup) का मुख्य उद्देश्य यही है कि उन कारणों की जाँच कर ली जाए, जिसके कारण इन रोगों की संभावना बनी रहती है और उन विशेष रोगों से समय पर ही इलाज एवं निदान कर लिया जाए। होल बॉडी चेकअप में किसी तरह का कोई जोखिम शामिल नहीं होता हैं साल में एक बार पूरे शरीर की जांच जरुर करवानी चाहिए |
क्यों करवाना चाहिए फुल बॉडी चेकअप?
टेस्ट कराने से यह पता चलता है कि आप पूरी तरह से फिट हैं या नहीं |
टेस्ट कराने से वक्त रहते ही गंभीर बीमारियों का पता चल जाता है, जिससे समय रहते ही उनका इलाज हो सकता है, मेडिकल टेस्ट से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही जेनेटिक बीमारयों का पता चलता है |
फुल बॉडी चेकअप में क्या क्या होता है ?
ब्लड टेस्ट
फुल बॉडी चेकअप में यह सबसे पहली और सबसे जरूरी जांच होती है। इसके जरिए हीमोग्लोबिन का स्तर, पॉलिमोर्फ्स, लिंफोसाइट, मोनोसाइट, प्लेटलेट्स आदि के स्तर को मापा जाता है। इसी ब्लड टेस्ट के जरिए ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल आदि की जांच भी की जाती है। किसी भी तरह के असामान्य स्तर होने पर दूसरे खास टेस्ट किए जाते हैं।
मधुमेह :
मधुमेह के रोगियों को अधिकतर पहले यह पता नहीं चल पाता कि वे मधुमेह के रोगी हैं। मधुमेह के रोगी संक्रमण के अधिक तथा जल्दी शिकार होते हैं। 25 वर्ष बाद 50 प्रतिशत रोगी आँखों के रोग के शिकार होते हैं, 4 गुना रोगियों को टी बी रोग घेर लेता है। चार गुना अधिक दिल का दौरा होता है। मोटापा भी मधुमेह का प्रमुख कारण है। इसलिए वजन में कमी, शारीरिक परिश्रम तथा नियमित एवं संतुलित आहार द्वारा उपचार संभव है। 40 वर्ष की आयु के बाद प्रति वर्ष रक्त में ग्लूकोज की जाँच अनिवार्य है। फुल बॉडी चेकअप के दौरान इसकी भी जाँच की जाती हैं |
थायरॉइड की जाँच
थायरॉइड एक ऐसा रोग है जो लगभग पूरी तरह से हॉर्मोंस पर निर्भर करता है। हमारे थायरॉइड ग्लैंड्स शरीर से आयोडीन लेकर इन्हें बनाते हैं। थायरॉयड ग्लैंड हमारे गले के निचले हिस्से में स्थित होता है। इससे खास तरह के हॉर्मोन टी-3, टी-4 और टीएसएच (थायरॉयड स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन) का स्राव होता है, जिसकी मात्रा के असंतुलन का हमारी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। शरीर की सभी कोशिकाएं सही ढंग से काम कर सकें, इसके लिए इन हॉर्मोस की जरूरत होती है।हार्मोन की कमी या अधिकता का सीधा असर व्यक्ति की भूख, वजन, नींद और मानसिक तनाव पर दिखाई देता है।
हृदय रोग :
मोटापा, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा, तनाव, मधुमेह, धूम्रपान, शराब, कोलेस्टरॉल, शारीरिक श्रम में कमी हृदय रोग को जन्म देते हैं। इसलिए फुल बॉडी चेकअप के समय उन महत्त्वपूर्ण घटकों की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है। वजन, मोटापा सेहत का दुश्मन होता है। मोटापा के कारण उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, मधुमेह, कोलेस्टरॉल में वृद्धि, सीने में दर्द, पित्त की थैली में पथरी, सांस के रोग की अधिक संभावना रहती है। इसलिए जिस व्यक्ति का वजन अधिक है, उसको आहार में नियमित संतुलित भोजन तथा शारीरिक श्रम द्वारा वजन में कमी करने का प्रयास किया जाता है। हृदय रोग संबंधी व्यापक जांच में ट्रेडमिल टेस्ट, ईकोकार्डियोग्राफी और होमोसिस्टाइन और लिपोप्रोटीन-ए जैसे जाँच शामिल हैं |
उच्च रक्तचाप :
हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण शुरुवात में दिखाई नहीं देते हैं परंतु धीरे-धीरे अधिक रक्तचाप खतरे का कारण बन जाता है। निरंतर रक्तचाप बढ़ा रहे तो यह हृदय के कार्यभार को बढ़ा देता है। यह धमनियों के सख्त होने की प्रक्रिया को और भी तीव्र कर देता है। धमनियाँ जब सँकरी और सख्त हो जाती हैं तो वे शरीर के अंगों को उतना रक्त नहीं पहुंचा पातीं, जिससे वह अपना कार्य भली-भाँति कर सके। उच्च रक्तचाप यदि अधिक समय तक बना रहे तो हृदय, गुर्दे और तंत्रिकाओं पर इसका ख़राब प्रभाव पड़ता है, जिससे आँखों के पीछे स्थित रक्त वाहिनियाँ सिकुड़ जाती हैं। लकवा होने की संभावना अधिक हो जाती है।
उच्च रक्तचाप की अवस्था में कुछ बातों पर ध्यान देना आवश्यक हो गया है। उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए जरूरी है कि वह धूम्रपान छोड़ दे। अपने आहार में घी तेल का प्रयोग कम करे। शारीरिक परिश्रम पर अधिक ध्यान दे। नमक का प्रयोग कम करे। अपने वजन पर ध्यान दे तथा नियमित रूप से रक्तचाप की जाँच करवाए। फुल बॉडी चेकअप की जाँच में हाई ब्लड प्रेशर के कारणों को भी खोजा जाता है तथा कारणों के अनुसार ही उपचार किया जाता है ताकि ह्रदय को अधिक नुकसान ना पहुंचे |
वसा व कोलेस्टरॉल की जाँच
यदि आहार में जीव स्रोत से उत्पन्न वसा, मांस या अधिक चिकनाई व तली चीजों का सेवन किया जाए तो कोलेस्टरॉल की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मोटापा, बड़ी आँत का कैंसर, पौरुष ग्रंथि का कैंसर, स्तन का कैंसर अधिक देखा गया है। सामान्य से जितनी अधिक मात्रा कोलेस्टरॉल की होती है, उतनी ही अधिक संभावना इन रोगों की बनी रहती है। अतः यह टारगेट होना चाहिए कि रक्त में कोलेस्टरॉल की मात्रा 180 मि. ग्राम प्रति लीटर से अधिक न हो। नियमित संतुलित भोजन, वजन में कमी तथा शारीरिक परिश्रम द्वारा यह संभव है।
कैंसर की जाँच
फुल बॉडी चेकअप में महिला को स्तन और गर्भाशय कैंसर जैसे रोगों और पुरुष को प्रॉस्टेट कैंसर की जाँच की जाती है |
ई.सी.जी.
हालाँकि प्रत्येक फुल बॉडी चेकअप के समय ई.सी.जी. जरुरी है किंतु जिन व्यक्तियों को दिल की बीमारी का कोई लक्षण नहीं है, उनके लिए ई.सी.जी. का विशेष महत्त्व नहीं है। फिर भी 20 प्रतिशत रोगियों को दिल का रोग, दिल की धड़कन की अनियमितता का पता चल जाता है। आजकल फुल बॉडी चेकअप में विशेष तौर पर टी.एम.टी. स्ट्रैस ई.सी.जी. द्वारा दिल की जाँच की जाती है।
यूरिन टेस्ट
फुल बॉडी चेकअप पेशाब की जांच के जरिए ग्लूकोज और प्रोटीन की मात्रा का पता लगाया जाता है।
आंखों की जांच
आंखें सही तरीके से काम कर रही हैं या नहीं, इसे जांच के जरिए पता लगाया जाता है। कलर ब्लाइंडनेस, मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया की स्थिति का भी अंदाजा मिल जाता है।
कान की जांच
कानों के सुनने की क्षमताओं का पता चलता है।
लिवर फंक्शन टेस्ट
फुल बॉडी चेकअप में लीवर की जाँच भी जरुर शामिल की जाती है इसमें प्रोटीन, एल्बुमिन, ग्लोबुलिन, बिलरुबिन (पीलिया ), एसजीओटी, एसजीपीटी आदि इस टेस्ट के तहत आते हैं।
एक्स-रे :
फुल बॉडी चेकअप में एक्स-रे द्वारा फेफड़े के रोग, श्वास के रोग की संभावना की जाँच हो जाती है। 40 वर्ष के अधिक वय के रोगी, विशेषकर धूम्रपान वाले रोगियों में हृदय के आकार का भी पता चलता है। प्रत्येक शारीरिक स्वास्थ्य परीक्षण में एक्स-रे जाँच भी सम्मिलित है। शारीरिक स्वास्थ्य परीक्षण द्वारा मधुमेह, दिल के रोग, मोटापा, कैंसर की पहचान समय से पहले की जा सकती है।
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इन रोगों के बचाव के लिए अभी तक किसी टीके या बैक्सीन की खोज नहीं की जा सकी है। अपने आचार-विचार व्यवहार व आहार में परिवर्तन कर हम स्वस्थ, सुखी, निरोग रह सकते हैं। फुल बॉडी चेकअप का उद्देश्य भी यही है। प्रबल इच्छाशक्ति, दृढ़ संकल्प धारण कीजिए तथा शारीरिक स्वास्थ्य परीक्षण द्वारा अपने शरीर की जाँच-पड़ताल करवा लीजिए।
विभिन्न प्रकार के हैल्थ चेक, विभिन्न श्रेणियों के लोगों के लिए उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए, मास्टर हैल्थ चैक, इक्टैटूविक हैल्था चैक, हार्ट चैक, ईको वैल वुमन चैक, तथा बी.एम.बी. होता है।
फुल बॉडी चेकअप में क्या क्या होता है? उनको नीचे भी बताया गया है | आपके डॉक्टर अपनी मर्जी से या आपकी उम्र, मेडिकल हिस्ट्री तथा सेहत को ध्यान में रखकर इस लिस्ट में कुछ जाँच घटा या बढ़ा सकते है लेकिन सामान्य तौर पर शरीरिक जाँच लगभग ये ही होती है
फुल बॉडी चेकअप सूची
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COMPLETE HEMOGRAM (28) (खून से संबंधित जाँच)
BASOPHILS – ABSOLUTE
COUNTEOSINOPHILS – ABSOLUTE
COUNTLYMPHOCYTES – ABSOLUTE
COUNTMONOCYTES – ABSOLUTE
COUNTNEUTROPHILS – ABSOLUTE COUNTBASOPHILSEOSINOPHILSHEMOGLOBINIMMATURE GRANULOCYTES (IG)IMMATURE GRANULOCYTE PERCENTAGE (IG%)TOTAL LEUCOCYTES COUNTLYMPHOCYTE PERCENTAGEMEAN CORPUSCULAR HEMOGLOBIN (MCH)MEAN CORP.HEMO.CONC (MCHC)MEAN CORPUSCULAR VOLUME (MCV)MONOCYTESMEAN PLATELET VOLUME (MPV)NEUTROPHILSNUCLEATED RED BLOOD CELLSNUCLEATED RED BLOOD CELLS %PLATELETCRIT (PCT)HEMATOCRIT (PCV)PLATELET DISTRIBUTION WIDTH (PDW)PLATELET TO LARGE CELL RATIO (PLCR)PLATELET COUNTTOTAL RBCRED CELL DISTRIBUTION WIDTH (RDW-CV)RED CELL DISTRIBUTION WIDTH – SD (RDW-SD)
DIABETES (2)(मधुमेह की जाँच)
HbA1cAVERAGE BLOOD GLUCOSE (ABG)
IRON DEFICIENCY (3) (आइरन की कमी की जाँच)
% TRANSFERRIN SATURATIONIRONTOTAL IRON BINDING CAPACITY (TIBC)
LIPID की जाँच (8)
TOTAL CHOLESTEROLHDL CHOLESTEROL – DIRECTLDL CHOLESTEROL – DIRECTLDL / HDL RATIONON-HDL CHOLESTEROLTC/ HDL CHOLESTEROL RATIOTRIGLYCERIDESVLDL CHOLESTEROL
LIVER की जाँच (11)
SERUM ALB/GLOBULIN RATIOALKALINE PHOSPHATASEBILIRUBIN -DIRECTBILIRUBIN (INDIRECT)BILIRUBIN – TOTALGAMMA GLUTAMYL TRANSFERASE (GGT)PROTEIN – TOTALALBUMIN – SERUMSERUM GLOBULINASPARTATE AMINOTRANSFERASE (SGOT )ALANINE TRANSAMINASE (SGPT)
RENAL (5) गुर्दे की जाँच
BUN / Sr.CREATININE RATIOBLOOD UREA NITROGEN (BUN)CALCIUMCREATININE – SERUMURIC ACID
THYROID (3) थाइरोइड की जाँच
TOTAL TRIIODOTHYRONINE (T3)TOTAL THYROXINE (T4)THYROID STIMULATING HORMONE (TSH)
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